लखनऊ। भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तृत नीति-पत्र सौंपा है, जिसमें राज्यभर के वधशालाओं में AI-आधारित Humane Monitoring System लागू करने और एक आधुनिक, पारदर्शी नियामक ढांचा तैयार करने का आग्रह किया गया है। डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री के गौ-संरक्षण और करुणा आधारित सुशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वधशालाओं में पारदर्शिता, तकनीक और संवेदनशीलता जोड़कर संविधान के अनुच्छेद 48 की भावना के अनुरूप वैज्ञानिक और मानवीय व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकती है।
नीति-पत्र में वधशालाओं की निगरानी और मानवीय प्रक्रिया में गंभीर कमियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, देश में प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक पशु-क्रूरता के मामले दर्ज होते हैं। UP पशुपालन विभाग की रिपोर्ट में लगभग 260 लाइसेंस प्राप्त वधशालाओं में से केवल आधी में CCTV कार्यरत हैं। AWBI ने मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ में गर्भवती भैंसों के वध की शिकायतें दर्ज की हैं।
इसके अलावा, World Animal Protection Index में भारत “कमजोर प्रवर्तन” श्रेणी में शामिल है।
डॉ. सिंह ने बताया कि AI तकनीक रीयल-टाइम वीडियो फीड का विश्लेषण कर सकती है, जिससे गर्भवती या नवजात पशुओं की पहचान, stunning protocol का उल्लंघन या overcrowding जैसी गतिविधियाँ तुरंत चिन्हित की जा सकती हैं। यह प्रणाली स्वतः अलर्ट जनरेट कर जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग को सूचित करेगी, जिससे कार्रवाई क्रूरता घटने से पहले ही संभव होगी।
नीति-पत्र में यह प्रस्तावित किया गया है कि उत्तर प्रदेश की सभी वधशालाओं को AI-सक्षम कैमरों से लैस किया जाए और इन्हें राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा जाए। इससे सभी जिलों से प्राप्त रीयल-टाइम वीडियो फीड का केंद्रीकृत विश्लेषण और निगरानी संभव होगी, जिससे तत्काल अलर्ट, त्वरित कार्रवाई और बहु-विभागीय समन्वय सुनिश्चित होगा।
मुख्य नीति-सुझावों में शामिल हैं कि सभी वधशालाओं में 24×7 CCTV और AI आधारित निगरानी अनिवार्य की जाए, गर्भवती और नवजात पशुओं के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाए, “UP Humane Slaughter Protocol 2025” लागू किया जाए, लाइसेंस और निरीक्षण रिपोर्ट की सार्वजनिक जानकारी के लिए Transparency Portal बनाया जाए, FSSAI और नगर निकायों के समन्वय से केवल Humane Compliance Certificate वाली इकाइयों का लाइसेंस नवीनीकरण किया जाए, और सभी कर्मचारियों के लिए Humane Handling Certificate अनिवार्य किया जाए।
प्रशासनिक कदमों में अंतर-विभागीय टास्क फोर्स का गठन, 90 दिनों में AI और CCTV मॉनिटरिंग अनिवार्य करना, राज्य स्तरीय निगरानी के लिए ACS स्तर का नोडल अधिकारी नियुक्त करना, शीर्ष वधशालाओं में 6 माह में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करना और बजट 2025–26 में AI प्रणाली और प्रशिक्षण के लिए विशेष अनुदान निर्धारित करना शामिल हैं।
नीति-पत्र में यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के उदाहरण भी दिए गए हैं, जहां वधशालाओं में CCTV, पशु-कल्याण अधिकारी और मानवीय प्रशिक्षण अनिवार्य हैं। डॉ. सिंह ने उत्तर प्रदेश में “Humane-Certified Meat – UP” लेबल लॉन्च करने का सुझाव भी दिया।
डॉ. सिंह ने कहा कि यह केवल आस्था या भोजन का विषय नहीं है, बल्कि करुणा और सभ्यता की परीक्षा है। यदि उत्तर प्रदेश AI-आधारित Humane Monitoring System को राज्य कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़े, तो यह विश्व स्तर पर पहला मॉडल बनेगा, जहां शासन, संवेदना और तकनीक एक साथ कार्य करेंगे।
